spritual and motivational

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समय का सदुपयोग ही सफलता की कुंजी है

इस संसार में बहुत सी चीजें मूल्यवान मानी जाती हैं — जैसे बुद्धि, स्वास्थ्य, धन, माता-पिता, भाई-बंधु आदि। लेकिन इन सभी में एक ऐसी वस्तु है, जो सबसे अनमोल और अपरिवर्तनीय है — वह है समय।

क्यों है समय सबसे कीमती?

जो व्यक्ति समय का मूल्य समझता है, वह उसका सही समय पर उपयोग करता है और अपने जीवन को सुखी और सफल बनाता है।
वहीं, जो समय की कद्र नहीं करता, वह व्यर्थ ही उसे नष्ट करता रहता है। समय बीत जाने के बाद जब असफलताएं और पछतावा सामने आते हैं, तब समझ आता है कि “मैंने कितना अमूल्य समय गंवा दिया!”

परंतु उस समय पश्चाताप करने से कुछ नहीं बदलता।

समय: एक ऐसा वाहन, जो कभी रुकता नहीं

जैसे किसी कार में ब्रेक और बैक गियर होता है — कार को रोका भी जा सकता है और पीछे भी लाया जा सकता है।
पर समय एक ऐसा वाहन है जिसमें न ब्रेक होता है और न ही बैक गियर।
एक बार समय निकल गया, तो फिर कभी लौटकर नहीं आता।

यही कारण है कि बुद्धिमान व्यक्ति समय पर काम कर लेते हैं। वे अवसर को पहचानते हैं और उसका भरपूर लाभ उठाते हैं।

सही समय पर सही निर्णय = सुखद भविष्य

जब कोई कार्य करने का उपयुक्त समय हो, तभी उसे पूरी ईमानदारी, मेहनत और समझदारी से करना चाहिए।
ताकि भविष्य में हमें पछताना न पड़े। यही है सच्ची बुद्धिमानी।

निष्कर्ष: दो रास्ते, एक चुनाव

अब निर्णय आपके हाथ में है।

1. समय का सदुपयोग कर बुद्धिमान, सफल और सुखी बनें।


2. या समय गंवाकर पछताएं और असफलता झेलें।



आप किस रास्ते पर चलना चाहते हैं — यह आप पर निर्भर करता है।

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           संसार में जिसने भी जन्म लिया है, उसमें कुछ न कुछ अविद्या तो होती ही है। और अविद्या के कारण उसमें कुछ राग द्वेष भी होता है। *”इसके साथ साथ प्रत्येक व्यक्ति में कुछ अच्छे संस्कार भी होते हैं। जिस व्यक्ति में अच्छे संस्कार अधिक होते हैं, वह उन अच्छे संस्कारों के कारण खुश रहता है। अच्छे काम करता है। दूसरे सुखी लोगों को देखकर वह भी सुखी होता है। सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझता है। सुखी होने का यही सबसे बड़ा रहस्य है।”*
          *”और जिसमें अविद्या राग द्वेष आदि दोष अधिक होते हैं, वह दुखी रहता है। दूसरे सुखी लोगों को देखकर भी दुखी होता है। उनसे जलता रहता है। और तरह-तरह से उनकी हानियां करने का प्रयास करता है। ऐसा व्यक्ति जीवन भर दुखी और परेशान ही रहता है। तो ऐसा जीवन कोई अच्छा जीवन नहीं है।”*
          *”अच्छा जीवन वही है, जिसमें व्यक्ति ईश्वर का ध्यान करे, अच्छे काम करे, स्वयं प्रसन्न रहे, दूसरों को सुख दे, और दूसरों को सुखी देखकर स्वयं सुखी हो। ऐसा जीवन अच्छा है। ऐसा जीवन बनाने का सबको प्रयत्न करना चाहिए।

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